आत्मज्ञान हैं राम रावण अहंकार
संदीप जोशी
हम सभी राम, सीता और रावण की कहानियां सुनकर बड़े हुए हैं। श्रीराम, लक्ष्मण और सीता जी को निर्वासित कर दिया गया। फिर वन में रावण ने सीता का अपहरण कर लिया। इसके पश्चात राम की अपनी पत्नी की खोज में एक लंबी साहसिक यात्रा आरंभ हुई। राम का रावण के साथ भीषण युद्ध हुआ और राम को विजय मिली। इसी दिन हम दशहरे का उत्सव मनाते हैं। इस दिन रावण का पुतला जलाया जाता है और फिर देशभर में उत्सव आरंभ हो जाता है। रामायण की शाश्वत कहानी आज के समय से भी संबंधित है।
रामायण गहन आध्यात्मिक अर्थ से ओतप्रोत है। यह हमारे जीवन को गहराई से देखने में मदद करती है। ‘रा’ का अर्थ है, प्रकाश। ‘म’ का अर्थ है, मैं। राम का अर्थ है, मेरे भीतर का प्रकाश। दशरथ और कौशल्या के घर राम का जन्म हुआ था। दशरथ का अर्थ है, वह जिसके पास दस रथ हैं। दस रथ पांच संवेदी अंगों और पांच कर्मेंद्रियों का प्रतीक हैं। कौशल्या कुशलता की प्रतीक हैं। सुमित्रा वह है, जो सबके साथ अपनापन रखती हैं। कैकेई का अर्थ है, जो सबके साथ बांटती हैं। दशरथ अपनी तीनों पत्नियों के साथ ऋषियों के पास गए और उनके आशीर्वाद से राम का जन्म हुआ।
राम का अर्थ है, आत्मा, हमारे भीतर का प्रकाश। लक्ष्मण का अर्थ है, सजगता। लक्ष्मण वह हैं, जो सजग हैं। शत्रृघ्न वह है, जिसका कोई शत्रु नहीं है और भरत का अर्थ है बुद्धिमान एवं प्रतिभाशाली। अयोध्या का अर्थ है, जिस पर विजय प्राप्त नहीं की जा सकती है या जिसे नष्ट नहीं किया जा सकता है।
श्रीश्री रविशंकर
हमारे शरीर मन तंत्र को अयोध्या मान सकते हैं। राजा दशरथ पांच संवेदी अंग और पांच कर्मेंद्रियां हैं। मन का प्रतीक सीता, जब आत्मा के प्रतीक राम से अलग हो गयीं, तब अहंकार के प्रतीक रावण ने सीता का अपहरण कर लिया। आखिरकार, राम और लक्ष्मण (आत्मा और सजगता) जीवन ऊर्जा या श्वास के प्रतीक हनुमान की सहायता से सीता (मन) को वापस घर ले आते हैं। यानी मन आत्मा में स्थिर हो गया।
रावण अहंकार का प्रतीक है। अहंकार का केवल एक चेहरा ही नहीं होता, बल्कि दस चेहरे होते हैं। वह व्यक्ति, जो अहंकारी है, स्वयं को दूसरों से अच्छा या अलग मानता है। इससे वह असंवेदनशील और कठोर हो जाता है। जब एक व्यक्ति संवेदनशीलता खो देता है, तब सम्पूर्ण समाज इसके दुष्प्रभावों से पीड़ित हो जाता है। भगवान राम आत्मज्ञान के प्रतीक हैं; वह आत्मा के प्रतीक हैं। जब एक व्यक्ति में आत्मज्ञान (भगवान राम) का उदय होता है, तब भीतर का रावण (अहंकार और सभी नकारात्मकताएं) पूर्ण रूप से नष्ट हो जाती हैं।
रावण को केवल आत्मज्ञान से ही नष्ट किया जा सकता है। इसका अर्थ यह है कि आत्मज्ञान से ही सभी प्रकार की नकारात्मकताओं और मन के विरूपण पर विजय प्राप्त की जा सकती है। हमारे भीतर हर समय रामायण घटित हो रही है। विजयादशमी का अर्थ है, वह दिन, जब सभी नकारात्मक प्रवृत्तियां (जिनका प्रतीक रावण है) समाप्त हो जाती हैं। यह दिन, मन में उठे सभी प्रकार के राग और द्वेषों पर विजय का प्रतीक है।